त्यौहार
तिथि विवरण
नवरात्रा
-
चैत्र
षुक्ला एकम से
नवमी तक व अष्विन
षुक्ल एकम से
नवमी तक ष्षरद
पूर्णिमा
-
अष्विन
पूर्णिमा इस
दिन चन्द्रमा
अपनी 16
कलाओ
से परिपूर्ण
होता है करवा
चौथ –
कार्तिक
कृष्णा 4
इस
दिन स्त्रियां
पति की दीर्घ
आयु के लिये
व्रत करती है
और रात को चांद
देखकर खाना खाती
है धनतेरस
-
कार्तिक
कृष्णा 13
इस
दिन धनवन्तरि
वैद्य की पूजा
की जाती है। तथा
घरो ंमें नये
बर्तन खरीदे
जाते है। दीपावली
-
कार्तिक
अमावस्या विक्रम
संवत का प्रारम्भ
इसी दिन से होता
है। लाग घरों
पर दीपक जलाकर
इस त्यौहार को
मनाते है। निर्वाझा
दिवस -
महाीवर
स्वामी,
दयानन्द
सरस्वती का
निर्वाण दिवस
इसी दिन मनाते
है। गोवर्धन
पूजा
-
कार्तिक
षुक्ला 1
- भैया
दूज
-
कार्तिक
षुक्ला 2
यम
द्वितीया के
रूप में भी मनाई
जाती है। देवउठनी
ग्यारस
-
कार्तिक
षुक्ला 11
इस
दिन से मांगालिक
कार्य पुनः
प्रारम्भ होते
है। ऐसी मान्यता
है कि भगवान
विष्णु चार माह
के षयन के बाद
इसी दिन जागते
है। मकर
सक्रांति
-
14 जनवरी
इसी दिन सूर्य
मकर राषि में
प्रवेष करता
है। बसंत
पंचमी
-
माघ
षुक्ल पंचमी
ऋतुराज बंसत
का प्रथम आगमन
दिवस है शिवरात्रि
-
फाल्गुन
कृष्णा 13
भगवान
षिव जन्मोत्सव
होली
-
फाल्गून
पूर्णिमा रंगों
का त्यौहार
धुलंडी -
चैत्र
कृष्णा 1
रंगों
का त्यौहार
षीतला अष्टमी
-
चैत्र
कृष्ण अष्टमी
इस दिन ठंडा
भोजन किया जाता
है। नववर्ष
-
चैत्र
षुक्ला एकम इस
दिन हिन्दूओं
का नववर्ष प्रारम्भ
होता है गणगौर
-
चैत्र
षुक्ला 3
चुहागिन
स्त्रियों का
त्योहार यह
त्योहार चैत्र
कृष्ण 1
से
प्रारंभ होकर
चैत्र षुक्ला
3
तक
चलता है रामनवमी
-
चैत्र
षुक्ला 3
भगवान
राम का जन्मोत्सव
अक्षय तृतीया
-
वैषाखा
षुक्ला 3
इस
दिन सिकान सात
अन्न तथा हल की
पूजा करते हैं
इस दिन राजस्थान
मे ंसर्वाधिक
बाल विवाह होते
है। गुरू
पूर्णिमा
-
आषाढ़
पूर्णिमा -
नाग
पंचमी
-
श्रवण
कृष्ण 5
इस
दिन नागों की
पूजा की जाती
है हरियाली
अमावस्या
-
श्रवण
अमावस्या -
जलझूलनी
ग्यारस
-
भादपद
षुक्ल 11
-
घुड़ला
का त्यौहार
-
चैत्र
षुक्ला 8
मारवाड़
का प्रमुख त्यौहार
श्रावणी तीज
(छोटी
तीज)
-
श्रवण
षुक्ला 3
तीज
मुख्यतः स्त्रियों
का त्योहार है
तीज त्यौहाराका
आगमन माना जाता
है बड़ी तीज/सातुड़ीतीज/काजली
तीज भाद्र कृष्णा
3
बूंदी
का कजली का मेला
प्रसिद्ध है
कृष्ण
जन्माष्टमी
-
भाद्रपद
कृष्ण 8
भगवान
कृष्ण का जन्मोत्सव
गोगा
नवमी
-
भाद्रपद
कृष्ण 9
इस
दिन गोगाजी की
पूजा की जाती
है गणेष
चतुर्थी
-
भाद्रपद
षुक्ला 4
महाराष्ट्र
का प्रमुख त्यौहार।
गणेष जन्मोत्सव
के रूप में मनाया
जाता है ऋषि
पंचमी
-
भाद्रपद
षुक्ला 5
- श्राद्ध
पक्ष
-
भाद्रपद
पूर्णिमा के
आष्विन अमावस्या
तक।
सांझी
भाद्रपद पूर्णिमा
से आष्विन अमावस्या
कुंवारी कन्याओं
का त्यौहार
रक्षा
बन्धन -
श्रावण
पूर्णिमा बहिन
भाई त्यौहार