धरातलीय प्रदेश
धरातलीय विशिश्टताओं के आधार पर राजस्थान को निम्नलिखित प्रमुख एवं उप विभागों में विभक्त किया जाता है-
1. पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश
2. अरावली पर्वतीय प्रदेश
3. पूर्वी मैदानी प्रदेश
4. दक्षिणी-पूर्वी पठार (हाडौती का पठार)
1. पश्चिमी मरूस्थली प्रदेश
राजस्थान का अरावली श्रणियों के पश्चिम का क्षत्र शुष्क एव अर्द्ध शुष्क मरूस्थली प्रदेश है। यह एक विशिश्ट भौगालिक प्रदश है, जिसे ‘भारत का विशाल मरूस्थल’ अथवा ‘थार मरूस्थल’ के नाम से जाना जाता है। इसका विस्तार बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानर, जोधपुर, पाली, जालौर, नागौर, सीकर, चूरू, झुन्झुनू, हनुमानगढ़ एव गंगानगर जिलों में है। यद्यपि गंगानगर, हनुमानगढ़ एव बीकानेर जिलां में सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से क्षेत्रीय स्वरूप में परिवर्तन आ गया है। सम्पूर्ण पश्चिमी मरूस्थली क्षेत्र समान उच्चावच नहीं रखता अपितु इसमें भिन्नता है। इसी भिन्नता के
इसकां चार उप-प्रदेशां में विभिक्त किया जाता है, ये हैं-
(अ) शुष्क रेतीला अथवा मरूस्थली प्रदेश
(ब) लूनी-जवाई बेसिन
(स) शेखावाटी प्रदेश, एवं
(द) घग्घर का मैदान
(अ) शुष्क रेतीला अथवा मरूस्थली प्रदेश- यह क्षेत्र शुष्क मरूस्थली क्षेत्र है जहाँ वार्षिक वर्षा को औसत 25 से. मी. से कम है। इसमें जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर जिले एवं जोधपुर और चूरू जिलों के पश्चिमी भाग सम्मलित है। इस प्रदेश में सर्वत्र बालुका-स्तूपों का विस्तार है। कुछ क्षेत्रों जैसे पोकर, जैसलमेर, रामगढ़ में चट्टानी संरचना दृष्टिगत होती है।
(ब) लूनी-जवाई बेसिन- यह एक अर्द्ध-शुष्क प्रदेश है जिसमें लूनी एवं इसकी प्रमुख जवाई तथा अन्य सहायक नदियाँ प्रवाहित है। इसका विस्तार पाली, जालौर, जोधपुर जिलों एवं नागौर जिले के दक्षिणी भागों में हैं। यह एक नदी निर्मित मैदान है जिसे ‘लूनी बेसिन’ के नाम से जाना जाता है।
(स) शेखावटी प्रदेश- इसे ‘बंागर प्रदेश’ के नाम से भी जाना जाता है। षेखावटी प्रदेश का विस्तार झुन्झुनू, सीकर और चूरू जिले तथा नागौर जिले के उत्तरी भाग में है। यह प्रदेश भी रेतीला प्रदेश है जहाँ कम ऊँचाई के बालूका-स्तूपांे का विस्तार हैं। इस प्रदेश में अनेक नमकीन पानी के गर्त (रन) हैं जिनमें डीडवाना, डेगाना, सुजानगढ़, तलछापर, परिहारा, कुचामन आदि प्रमुख हैं।
(द) घग्घर का मैदान- गंगानगर, हनुमानगढ़ जिलों का मैदानी क्षेत्र का निर्माण घग्घर नदी के प्रवाह क्षेत्र की बाढ़ से हुआ है। वर्तमान में घग्घर नदी को ‘मृत नदी’ कहा जाता है क्योंकि इसका प्रवाह तल स्पष्ट नहीं है, किन्तु वर्षा काल में इसमें ने केवल पानी प्रवाहित होता है, अपितु बाढ़ आ जाती है। घग्घर नदी प्राचीन वैदिक कालीन सरस्वती नदी है जो विलुप्त हो चुकी है। यह सम्पूर्ण मैदानी क्षेत्र है जो वर्तमान में कृषि क्षेत्र बन गया है।
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