कम्प्यूटर के प्रकार (TYPES OF COMPUTER)
1. आकार के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं –
(A). माइक्रो कम्प्यूटर à कम्प्यूटर प्रणालियों में सबसे छोटी प्रणाली को माइक्रो कम्प्यूटर कहते है. बाह्य उपकरणों के क्षेत्र में इन कम्प्यूटरो में टर्मिनल , फ्लोपी डिस्क तथा अपेक्षाकृत कम गति के प्रिंटर होते है. माइक्रो कम्प्यूटर लघु व्यवसायों द्वारा भी प्रयुक्त किया जाता है. इनका उपयोग व्यक्तिगत होने के कारण इनको पर्सनल कम्प्यूटर भी कहते है.यह प्रकार अभी सबसे अधिक प्रचलन में है.एक माइक्रो कम्प्यूटर में सीपीयू के सारे भाग एक मुख्य सर्किट बोर्ड पर लगे होते है जिसे मदरबोर्ड कहा जाता है. इसका प्रमुख भाग माइक्रोप्रोसेसर होता है. एक माइक्रोप्रोसेसर में विभिन्न सर्किटो के साथ कुछ स्मृति स्थान भी होते है जिन्हें रजिस्टर कहा जाता है.
आकार के आधार पर हम कम्प्यूटरों को निम्न श्रेणियाँ प्रदान कर सकते हैं –
(A). माइक्रो कम्प्यूटर à कम्प्यूटर प्रणालियों में सबसे छोटी प्रणाली को माइक्रो कम्प्यूटर कहते है. बाह्य उपकरणों के क्षेत्र में इन कम्प्यूटरो में टर्मिनल , फ्लोपी डिस्क तथा अपेक्षाकृत कम गति के प्रिंटर होते है. माइक्रो कम्प्यूटर लघु व्यवसायों द्वारा भी प्रयुक्त किया जाता है. इनका उपयोग व्यक्तिगत होने के कारण इनको पर्सनल कम्प्यूटर भी कहते है.यह प्रकार अभी सबसे अधिक प्रचलन में है.एक माइक्रो कम्प्यूटर में सीपीयू के सारे भाग एक मुख्य सर्किट बोर्ड पर लगे होते है जिसे मदरबोर्ड कहा जाता है. इसका प्रमुख भाग माइक्रोप्रोसेसर होता है. एक माइक्रोप्रोसेसर में विभिन्न सर्किटो के साथ कुछ स्मृति स्थान भी होते है जिन्हें रजिस्टर कहा जाता है.
(B). वर्कस्टेशन à वर्कस्टेशन संगणक एक उच्चस्तरीय सूक्ष्म संगणक है. जो तकनीकी या वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए परिकल्पित किया गया है| ये मुख्यतः एक बार में एक व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाले होते हैं. इनका उपयोग बैंकों में, रेलवे आरक्षण में, विमान उड्डयन स्थल पर, सरकारी कार्यालयों जैसे स्थानों पर किया जाता है|
(c). मिनी कम्प्यूटर à ये कम्प्यूटर मेनफ्रेम कम्प्यूटरो कि तरह हि डाटा संसाधन क्रियाएँ करते है, परन्तु अपेक्षाकृत कम परिमाण या मात्र में. मिनी कम्प्यूटरो के मूल्य अपेक्षाकृत कम होते है. इनकी क्षमता माइक्रो कम्प्यूटर से अधिक और मेनफ्रेम से कम होती है.
(D). मेनफ्रेम कम्प्यूटर à मेनफ्रेम भी बड़ी कम्प्यूटर प्रणाली है. वृहद कम्प्यूटरो के साथ अधिक विविधता के निवेश/निर्गम उपकरण सम्बद्ध होते है. एक मेनफ्रेम कम्प्यूटर अपने साथ एक हजार से भी अधिक दूरस्थ वर्क स्टेशनों को जोड़ सकता है. इन कम्प्यूटरो कि गति को MIPS (MILLION INSTRUCTIONS PER SECOND) में मापा जाता है. इनका उपयोग बड़े व्यावसायिक संगठनो बैंको और विश्वविद्यालयों आदि में किया जाता है. मेनफ्रेम कम्प्यूटरो के मुख्य आपूर्तिकर्ता आई बी एम, हनीवेल, बरोस, एन सी आर, सीडीएस तथा स्पेरी इत्यादि है.
(E). सुपर कम्प्यूटर à एक सुपर कम्प्यूटर में एक से अधिक सीपीयू होते है जो समानांतर कार्य करते है .इनकी कार्य गति फ्लॉप (FLOPS, FLOATING POINT INSTRUCTIONS PER SECOND) में मापी जाती है. अत्याधुनिक कम्प्यूटरो कि गति एक तेरा फ्लॉप हो सकती है.प्रथम सुपर कम्प्यूटर BURROUGHS द्वारा निर्मित था. सुपर कम्प्यूटर के अन्य आपूर्तिकर्ता CRAY, CDS तथा NEC इत्यादि है. सुपर कम्प्यूटरों का प्रयोग उच्च-गणना आधारित कार्यों में किया जाता है। उदाहरण- मौसम की भविष्यवाणी, जलवायु शोध (वैश्विक ऊष्णता से सम्बंधित शोध भी इसमें शामिल है), अणु मॉडलिंग (रासायनिक यौगिकों, जैविक वृहद् अणुओं, पॉलीमरों और क्रिस्टलों के गुणों और संरचनाओं की कम्प्यूटिंग) इत्यादि। सैन्य और वैज्ञानिक एजेंसियां इसका काफी उपयोग करती हैं.
2. अनुप्रयोग के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
.यद्यपि कम्प्यूटर के अनेक अनुप्रयोग हैं जिनमे से तीन अनुप्रयोगों के आधार पर कम्प्यूटरों के तीन प्रकार होते हैं :
(a) एनालॉग कम्प्यूटर à वे कम्प्यूटर जो अंको पर कार्य न करते हुए. भौतिक रूप से उपलब्ध डाटा पर सीधे कार्य करते है. भौतिक रूप से उपलब्ध डाटा से हमारा तात्पर्य है कि हम विभिन्न भौतिक इकाइयों को अंको में परिवर्तित न करते हुए सीधे हि कम्प्यूटर में इनपुट करते है. भौतिक मात्राएँ, जैसे – तापमान, दाब, गति, वोल्टेज, प्रतिरोध इत्यादि का मापन करते है न कि गणना करते है क्योंकि इनका मान सतत रूप से बदल सकता है अर्थात कोई भी मान हो सकता है.यहाँ तापमान अंको के रूप में इनपुट न करके तापमापी के पारे के प्रसार के रूप में इनपुट किया जाता है.इस प्रकार के कम्प्यूटर विशेष अनुप्रयोगों हेतू ज्यादा काम आते है. इन का डाटा का संसाधन सतत रूप में किया जाता है.
(b ) डिजिटल कम्प्यूटर à वे कम्प्यूटर जो अंको पर कार्य करते है. इनमे निवेश अंक रूप में ही हो सकता है. ये कम्प्यूटर अनेक समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त है और इसलिए बहुत लोकप्रिय भी. इसके विभिन्न अनुप्रयोगों में व्यापार, बैंकिंग, शिक्षा, मनोरंजन इत्यादि सम्मिलित है.
(c) हाईब्रिड कम्प्यूटर – वे कम्प्यूटर जिनमे एनालॉग एवं डिजिटल कम्प्यूटर दोनों के गुण हो, हाइब्रिड कम्प्यूटर कहलाते है. उदाहरण के लिए इनपुट डाटा एनालॉग फॉर्म में हो सकता है जिसे कम्प्यूटर संसाधन करके आउटपुट डिजिटल रूप में देता है. उदाहरण के लिए किसी रोगी का रक्तचाप, धड़कन, इत्यादि मापने के लिए एनालॉग डिवाइस हो तथा उन्हें कम्प्यूटर में निवेश करने के लिए पहले डिजिटल रूप में बदला जाए और परिणाम डिजिटल रूप में हि स्क्रीन पर प्रदर्शित हो.
3. उद्देश्य के आधार पर कम्प्यूटरों के प्रकार
कम्प्यूटर को दो उद्देश्यों के लिए हम स्थापित कर सकते हैं- सामान्य और विशिष्ट , इस प्रकार कम्प्यूटर उद्देश्य के आधार पर निम्न दो प्रकार के होते हैं :
(a ) सामान्य-उद्देशीय कम्प्यूटर à सामन्य समस्याओं के समाधान हेतू निर्मित कम्प्यूटरो को जनरल परपज कम्प्यूटर कहते है. ये वेतन पत्र, एकाउंट्स तैयार करने में आरक्षण इत्यादि में प्रयोग लिए जाते है.
(b ) विशिष्ट -उद्देशीय कम्प्यूटर à वे कम्प्यूटर जो किसी विशेष उद्देश्य कि प्राप्ति को लक्ष्य कर बनाए जाते है. इनका निर्माण मात्र एक हि उद्देश्य के लिए किया जाता है न कि सारे उद्देश्यों केलिए. अंतरिक्ष विज्ञान, मौसम विज्ञान, चिकित्सा, नाभिकीय यंत्रो आदि में इसका प्रयोग किया जाता है.