राजस्थान के मृगवन
                              मृगवन
                            
                            
                               राजस्थान में वन्य जीवों के संरक्षण में एक नवीन कदम हिरण (मृग) के लिये ‘मृगवन‘ क्षेत्र निर्धारित कर उठाया गया है। वर्तमान में राज्य में निम्नलिखित मृगवन है-
                            
                            
                              अशोक विहार मृगवन
                            
                            
                              जयपुर शहर के अषोक विहार के बीच 12 हैक्टेयर के एक भूखण्ड को अषोक विहार मृगवन के नाम से विकसित किया है। इसके पास ही 7500 वर्ग मीटर में एक और क्षेत्रविकसित किया जा रहा है। इसमें 24 हिरण तथा 8 चिंकारा संरक्षण हेतु छोड़े गए हैं।
                            
                            
                              माचिया सफारी पाक
                            
                            
                              जोधपुर के कायलाना झील के पास यह 1985 में शुरू किया गया था। इसका क्षेत्रफल 600 हैक्टेयर के लगभग है। इसमें भेड़िया, लंगूर, सेही, मरू बिल्ली, नीलगाय, काला हिरण, चिंकारा नामक वन्य जीव तथा अनेक पक्षी देखे जा सकते हैं।
                            
                            
                              चित्तोड़गढ़ मृगवन
                            
                            
                              प्रसिद्ध चित्तोड़गढ़ दुर्ग के दक्षिणी किनारे पर इस मृगवन को 1969 में स्थापित किया गया था, जिसमें नीलगाय, चीतल, चिंकारा एवं काला हिरण आदि वन्य जीव रखे गए है।
                            
                            
                              पुष्कर मृगवन
                            
                            
                              पावन तीर्थस्थल पुष्कर के पास प्राचीन पंचकुण्ड के निकट पहाड़ी क्षेत्र में यह मृगवन विकसित किया गया है। विकास के बाद 1985 में इसमें कुछ हिरण छोड़े गए थे, जिनको आज भी सुविधापूर्वक देखा जा सकता है।
                            
                            
                              संजय उद्यान मृगवन
                            
                            
                              लगभग 10 हैक्टेयर क्षेत्रफल में शाहपुरा (जिला जयपुर) के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह उद्यान विकसित किया गया है। इसको ग्रामीण चेतना केन्द्र के रूप में विकसित किया गया है। इसमें चिंकारा, नीलगाय, चीतल आदि वन्य जीव रहते है।
                            
                            
                              सज्जनगढ़ मृगवन
                            
                            
                              यह उदयपुर के सज्जनगढ़ दुर्ग के पहाड़ी क्षेत्र में विस्तृत है।
                            
                            
                                    उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि राज्य में वन्य जीवों के संरक्षण को महत्व दिया जा रहा है। वन्य जीवों के संरक्षण एवं उनके आवासों को सुरक्षित रखने हेतु राज्य सरकार ने कुछ अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जो निम्नलिखित है-
                            
                            
                              ♥     वन्य जीवों के प्रबन्धन हेतु टास्क फोर्स की रिर्पो ट की क्रियान्विति करने हेतु एक कमेटी गठित की गई है।
                            
                            
                              ♥     सम्पूर्ण प्रदेष में वन्य जीवों का आकलन भारतीय वन्य संस्थान, देहरादून से कराया गया है।
                            
                            
                              ♥     काले हिरणों हेतु प्रसिद्ध तालछापर अभयारण्य के समग्र विकास हेतु एक योजना तैयार कर हैबिटेट सुधार हेतु कार्य किया जा रहा है।
                            
                            
                              ♥     रणथम्भौर एवं सरिस्का बाघ परियोजना क्षेत्रों में ‘रैड अलर्ट‘ घोषित कर उनकी सीमाओं को सील कर सुरक्षा गार्ड लगाये गए हैं, जिससे यहाँ अनाधिकृत षिकार रोका जा सके।
                            
                            
                              ♥     बाध संरक्षण की दिषा में एक विषेष कदम ‘टाइगर कॉरिडोर‘ बनाना है। इस योजना के बाद रणथम्भौर अभयारण के टाइगर गांधी सागर अभयारण तक विचरण कर सकेंगे।
                            
                            
                              ♥     ‘टाइगर कॉरिडोर‘ के अन्तर्गत रणथम्भौर के बाघ सवाई मानसिंह अभयारण होते हुए बूंदी के क्वांलजी, रामगढ़ अभयारण धनेश्वर, जवाहर सागर, दरा अभयारण पहुँचेंगे। यहाँ से मध्य प्रदेष के जंगलों तक जा सकेंगे।
                            
                            
                              ♥     राज्य में ग्रासलैण्ड पारिस्थितिकीय एवं जीन पूल संरक्षण हेतु ‘प्रोजेक्ट बस्टर्ड‘ प्रारम्भ करने की योजना है।
                            

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