नौ अगस्त को रामलीला मैदान में होगा आंदोलन BABA RAMDEV
मेरे प्रिय देशवासियों !
वह देश जो अपने वैभव के लिए विख्यात रहा है, वह देश जिसने विदेशियों को बार-बार ललकारा, आज वह फिर लुट रहा है। अमर्यादित भोग, गैर जिम्मेदार एवं संवदेनहीन संस्कृति की काली साया चारों ओर से बढ़ी चली आ रही है। धरती के धन की बेतहासा चोरी जारी है। विकास के लिए उधार ली गई पूंजी का निरन्तर गबन हो रहा है। रिश्वतखोरी मान्यता प्राप्त हो गयी है। कर चोरी को व्यवस्था की मौन स्वीकृति है। देश लुट रहा है लेकिन लुटेरे इस बार विदेशी नहीं हमारे व अपने ही हैं। यह एक दुःखद आश्चर्य किन्तु सत्य है कि जितना विदेशियों ने 200 वर्षों में नहीं लूटा उससे अधिक हमारे अपनों ने ही 65 वर्षों में लूटा है। एक ओर लुटेरों के धन विदेशी बैंकों में बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर प्रतिवर्ष 60 से 70 लाख लोग इसलिए दम तोड़ रहे हैं कि उन्हें समुचित भोजन नहीं नसीब हो पा रहा है। विकास कि यह कैसी बिडम्बना है? कि 84 करोड़ व्यक्ति मात्र 20 रुपये में ही अपना जीवन बसर करने के लिए बेवश हैं। इससे बड़ी और क्या शर्मनाक बात हो सकती है कि हर एक घण्टे में दो अबलाओं की इज्ज़त लूट ली जाती है और तीन मासूमों को इसलिए मार दिया जाता …
वह देश जो अपने वैभव के लिए विख्यात रहा है, वह देश जिसने विदेशियों को बार-बार ललकारा, आज वह फिर लुट रहा है। अमर्यादित भोग, गैर जिम्मेदार एवं संवदेनहीन संस्कृति की काली साया चारों ओर से बढ़ी चली आ रही है। धरती के धन की बेतहासा चोरी जारी है। विकास के लिए उधार ली गई पूंजी का निरन्तर गबन हो रहा है। रिश्वतखोरी मान्यता प्राप्त हो गयी है। कर चोरी को व्यवस्था की मौन स्वीकृति है। देश लुट रहा है लेकिन लुटेरे इस बार विदेशी नहीं हमारे व अपने ही हैं। यह एक दुःखद आश्चर्य किन्तु सत्य है कि जितना विदेशियों ने 200 वर्षों में नहीं लूटा उससे अधिक हमारे अपनों ने ही 65 वर्षों में लूटा है। एक ओर लुटेरों के धन विदेशी बैंकों में बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर प्रतिवर्ष 60 से 70 लाख लोग इसलिए दम तोड़ रहे हैं कि उन्हें समुचित भोजन नहीं नसीब हो पा रहा है। विकास कि यह कैसी बिडम्बना है? कि 84 करोड़ व्यक्ति मात्र 20 रुपये में ही अपना जीवन बसर करने के लिए बेवश हैं। इससे बड़ी और क्या शर्मनाक बात हो सकती है कि हर एक घण्टे में दो अबलाओं की इज्ज़त लूट ली जाती है और तीन मासूमों को इसलिए मार दिया जाता …