राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्य
राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभयारण्य
राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभ्यारण्यों की स्थापना का मूल उद्देष्य वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्धन करना तथा प्राकृतिक पर्यावरण को बनाये रखना है। वन्य जीव हमारे जैव परिमण्डल का अभिन्न अंग है। वनों में निवास करने वाले जंगली-जानवर एवं अन्य जीव-जन्तु क्षेत्रीय पारिस्थितिकी की उपज होते हैं और प्राकृतिक पर्यावरण से सामंजस्य स्थापित कर न केवल स्वयं का अस्तित्व बनाए रखते हैं, अपितु पारिस्थितिकी तन्त्र को परिचालित करने में सहायक होते हैं। एक समय था जब वन्यजीव स्वच्छन्दता से विचरण कर प्राकृतिक वातावरण में रहते थे किन्तु जनंसख्या वृद्धि,औद्योगीकरण, शहरीकरण एवं मानव की स्वार्थपरता ने आज इनके अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। यही नहीं, अपितु वनों के कटने एवं पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण इनके आवासीय परिवेषपरिवर्तित हो रहे हैं, या समाप्त हो रहे हैं जिससे इनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है। वन्य जीवों के विनाष में मानव का सर्वाधिक हाथ है, विषेषकर जब से इनसे प्राप्त वस्तुओं का व्यवसायीकरण होने लगा है, अनेक वन्य प्रजातियों का अस्तित्व संकट में आ…
राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्यजीव अभ्यारण्यों की स्थापना का मूल उद्देष्य वन्य जीवों का संरक्षण एवं संवर्धन करना तथा प्राकृतिक पर्यावरण को बनाये रखना है। वन्य जीव हमारे जैव परिमण्डल का अभिन्न अंग है। वनों में निवास करने वाले जंगली-जानवर एवं अन्य जीव-जन्तु क्षेत्रीय पारिस्थितिकी की उपज होते हैं और प्राकृतिक पर्यावरण से सामंजस्य स्थापित कर न केवल स्वयं का अस्तित्व बनाए रखते हैं, अपितु पारिस्थितिकी तन्त्र को परिचालित करने में सहायक होते हैं। एक समय था जब वन्यजीव स्वच्छन्दता से विचरण कर प्राकृतिक वातावरण में रहते थे किन्तु जनंसख्या वृद्धि,औद्योगीकरण, शहरीकरण एवं मानव की स्वार्थपरता ने आज इनके अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। यही नहीं, अपितु वनों के कटने एवं पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण इनके आवासीय परिवेषपरिवर्तित हो रहे हैं, या समाप्त हो रहे हैं जिससे इनके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया है। वन्य जीवों के विनाष में मानव का सर्वाधिक हाथ है, विषेषकर जब से इनसे प्राप्त वस्तुओं का व्यवसायीकरण होने लगा है, अनेक वन्य प्रजातियों का अस्तित्व संकट में आ…